hindi art integration by shubham jain

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Published on 22 February 2022

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Hindi Art Integration. Topic:संघर्ष के कारण मैं तुनुकममज़ाज हो गया: धनराज by:Shubham jain
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यह पाठ हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी धनराज पिल्लै का पैंतीस वर्ष के हो जाने पर विनीता पाण्डे द्वारा लिया गया साक्षात्कार है। इस पाठ ने धनराज पिल्लै के बचपन से लेकर अब तक की प्रमुख घटनाओं का वर्णन है।
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धनराज पिल्लै का बचपन कठिनाइयों से भरा था
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उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी
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धनराज के दोनों बड़े भाई भी हॉकी खेलते थे।
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धनराज भी हॉकी खेलना चाहते थे परन्तु उनके पास हॉकी स्टिक खरीदने के पैसे नहीं थे।
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अपने मित्रों से हॉकी स्टिक उधार माँग कर वे खेलते थे।
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जब उनके बड़े भाई को भारतीय कैंप में चुन लिया गया तब उन्होंन अपनी पुरानी स्टिक धनराज को दे दी।
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यही धनराज की अपनी पहली स्टिक थी।
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धनराज को 1985 में मणिपुर में खेले जाने वाली जूनियर राष्ट्रीय हॉकी खेलने का अवसर मिला।
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उस समय धनराज सोलह वर्ष के थे।
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सन 1888 में उन्हें सीनियर टीम में चुन लिया गया।
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इसके कारण वे मुंबई पहुँच गए।
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1988 में नेशनल कैंप के 57 खिलाड़ी में उनका नाम न होने से वे मायूस हो गए थे।
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परन्तु एक वर्ष के बाद ही उन्हें ऑलविन एशियन कप के लिए चुन लिया गया।
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उसके बाद से ये आगे ही बढ़ते गए।
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धनराज पढ़ाई में कमजोर थे। वे दसवीं तक ही पढ़ पाए। धनराज यह मानना था कि यदि वे हॉकी न खेलते तो उन्हें चपरासी की नौकरी भी न मिलती। धनराज भावुक भी है उनसे किसी का कष्ट देखा नहीं जाता।
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अपनी गलती पर वे माफ़ी माँगने पर भी संकोच नहीं करते।
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धनराज ने यह भी बताया कि कृत्रिम घास को देखकर वे विज्ञान की तरक्की पर आश्चर्यचकित थे।
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उनकी सबसे पहली कार सेकेंड हैण्ड अरमाडा थी।
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बाद में उन्होंने 2000 में फोर्ड आइकॉन खरीदी।
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पुणे में भाऊ रोड पर 1994 में दो बेडरूम का फ्लैट खरीदा।